*** प्रिया *** - Palpali Milan

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23 January 2012

*** प्रिया ***


राखी काखमा उन्मातले सुम्सुम्यायौ पुरा रात प्रिया
मेटाइ प्यास पखालेर जवानी यो दियौ घात प्रिया

दुबै ओठ जोडी गुमाएर होस सारा बाँध्यौ अंगालोमा
सुम्पेर यहाँ जिन्दगीनै मद्होशिमा गयौ बात प्रिया

चुमेर फेरी अंग अंग निदायौ नि छुपेर छातिमा
मन को रहर छचल्काइ यौवानम पोख्यौ मात प्रिया



तोडेर सिमा नबनाउ बन्दी मन भड्किलो तिमीले
मत्थर भयौ यौवन त्यो पोकिएसी झिक्यौ हात प्रिया

बेहोसी नसा उत्तौलो रात हेर धमिलो आकृति
लीलाम गरी अस्मितानै मनायौ के सुहागरात प्रिया
गजलकार
लक्ष्मण भन्तना "शिरिष"
अश्राङ्-४, गोर्खा हाल- आबुधाबी

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