** यो मन बाट हटाई आऐँ लौ !! ** - Palpali Milan

09 January 2012

demo-image

** यो मन बाट हटाई आऐँ लौ !! **

Dirgraraj+Giri+Priyasi



आफ्नै मन यो एकान्तमा खटाई आऐँ लौ
सम्झनाका माल सामान पठाई आऐँ लौ !!

जस्ले गर्यो विरुद्धमा मेरै मिथ्या कुरा,
सात समुन्द्र ऊसैलाइ कटाई आऐँ लौ !!

ठिकै थियो माया अनी प्रेम जीन्दगीमा,
विछोडमा जोडहरु ती घटाई आऐँ लौ !!



युगौँ युग नबिर्सने झुटाकसम खानेलाई,
रिसको झोकमा नराम्ररी ठटाई आऐँ लौ !!

पिठ्यूँपछि छुरा रोप्दै माया गर्ने लाई,
सत्यकसम यो मन बाट हटाई आऐँ लौ !!


गजलकार 
दिर्गराज गिरी 'प्रियसी'
कैलाली नेपाल

Search

Contact Form

Name

Email *

Message *